यार की फिकर




पूर्णिका _ यार की फिकर

मेरे दर्द ए जिगर की फिकर गर होती मेरे यार को ।
मुझसे बेखबर निंद इस कदर न आती मेरे यार को।

माना तुम बेहद हंसी सबसे जवां हो गुलाब की कली ।
मुझसे नजर मिलाते अगर नजर गैर न भाती मेरे यार को।

दर्द ही देना था अगर दिल देने की जरूरत क्या थी।
दिल की डगर चलो बन हमसफर न आती मेरे यार को।

तुम मुझे याद करो न करो मुझे याद आती है बहुत।
बागो बहार कभी राहे दीदार नही आती मेरे यार को।

दुनिया उधर से उधर हो जाए फर्क नही पड़ता है तुझे।
आंसुओ और जख्मों की खबर न होती मेरे यार को।

श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड




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2 Comments

Wahh बहुत ही सुंदर सृजन और खूबसूरत भाव

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Gunjan Kamal

05-Dec-2023 11:41 PM

👌👏

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